Bhakti Rasamrita Sindhu Part -1 (Hindi) By Sri Haridas Shastri Maharaj
अत्यंत प्रसिद्ध ग्रंथ श्रील रूप गोस्वामी प्रभुपाद द्वारा रचित भक्तिरसामृतसिन्धु का यह प्रथम खण्ड भक्ति के रसों का गहन विश्लेषण प्रस्तुत करता है। इसमें भक्ति के स्थायी भाव, रस और उनके उपयुक्त उपयोग का अत्यंत सूक्ष्म निरूपण किया गया है।
यह संस्करण विशेष है क्योंकि इसमें संलग्न हैं—
श्रील जीव गोस्वामी प्रभुपाद कृत दुर्गमसङ्गमनी टीका
श्रील मुकुन्ददास गोस्वामी कृत अर्थरत्नाल्पदीपिका टीका
श्रील विश्वनाथ चक्रवर्ती ठाकुर कृत भक्तिसार प्रदर्शिनी टीका
साथ ही, श्रीधाम वृन्दावनवासी श्री हरिदास शास्त्री जी महाराज द्वारा किया गया सुस्पष्ट हिन्दी अनुवाद इसे और भी सुगम व पठनीय बनाता है।





















