वृन्दावन लीला: Vrindavan Lila [Hindi]By Janakinath & Jagannath Mishra Das
वृन्दावन लीला एक भक्तिमय खजाना है, जो भगवान श्रीकृष्ण की पावन वृन्दावन लीलाओं का मधुर वर्णन करता है। सरल हिंदी भाषा में लिखी गई यह पुस्तक पाठकों को उस दिव्य संसार में ले जाती है, जहाँ श्रीकृष्ण ने अपने बाल्यकाल के खेल खेले, अद्भुत चमत्कार किए और भक्तों को प्रेम, आनंद और भक्ति का संदेश दिया।
हर अध्याय वृन्दावन की अनुपम छटा को जीवंत करता है—गोपों व गोपियों के संग श्रीकृष्ण की हँसी-खुशी की लीलाएँ, करुणा से भरे उनके संवाद, और नित्य प्रेमपूर्ण विहार। भक्तों व साधकों के लिए यह पुस्तक केवल कथा नहीं, बल्कि भक्ति साधना के लिए प्रेरक मार्गदर्शक है|
श्रील विश्वनाथ चक्रवर्ती ठाकुर बताते हैं कि श्रीकृष्ण की लीलाओं का श्रवण एवं चिंतन ही ध्यान का सर्वोत्तम स्वरूप है, जिसे सुनकर स्वयं श्रीशुकदेव और श्रीनारद जैसे महापुरुष भी मोहित हो जाते हैं।
श्रील कृष्णदास कविराज गोस्वामी के अनुसार वृंदावन धाम साधारण स्थान नहीं, बल्कि चिन्मय भूमि है, जहाँ भगवान् सदा अपनी प्रिय गोपियों व ग्वालबालों के साथ रमण करते हैं।
श्रील कविकर्णपूर "आनंद-वृंदावन चंपू" में कहते हैं कि श्रीकृष्ण की लीलाएँ इतनी मधुर हैं कि सांसारिक कथाएँ उनके आगे तुच्छ प्रतीत होती हैं।
यह पुस्तक साधकों को न केवल भगवान की अद्भुत बाल एवं यौवन लीलाओं का रसास्वादन कराती है, बल्कि वृंदावन धाम की वास्तविकता को हृदय में अनुभव कराने वाला मार्ग भी दिखाती है।
पेपरबैक स्वरूप में उपलब्ध यह ग्रंथ हल्का व सुविधाजनक है, जिसे आप कहीं भी साथ ले जा सकते हैं। यह दैनिक पाठ, यात्रा के समय अथवा प्रियजनों को उपहार देने के लिए उपयुक्त है।
ISBN: 978-93-4991734-7 पृष्ठ संख्या: 416
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