काव्य-कौस्तुभः (The Kavya Kaustubha) by Śrī Haridāsa Śāstrī Mahārāja
"काव्य-कौस्तुभः" संस्कृत काव्य-शास्त्र का एक अमूल्य रत्न है, जिसमें आचार्य श्रीहरिदास शास्त्री जी महाराज ने काव्यशास्त्र के तत्वों, रस-विचार, अलंकार सिद्धांत, और गौड़ीय दृष्टिकोण से काव्य की गरिमा का विश्लेषण किया है।
"काव्य-कौस्तुभः" केवल एक काव्यशास्त्रीय ग्रंथ नहीं, बल्कि यह साहित्य, दर्शन और भक्ति का त्रिवेणी संगम है।
श्रीवृन्दावनवासीय नव्य-न्यायाचार्य, वेदान्तविद्, एवं साहित्यशास्त्र पारंगत श्रीहरिदास शास्त्री जी महाराज द्वारा रचित यह ग्रंथ उन सभी जिज्ञासुओं, विद्यार्थियों और भक्तों के लिए अमूल्य निधि है जो संस्कृत काव्य-शास्त्र की गहराई में उतरना चाहते हैं।
🔹 ग्रंथ की विशेषताएँ:
संस्कृत काव्य की मूलभूत परिभाषाएँ और श्रेणियाँ
रस, भाव, अलंकार और रीति पर शास्त्रसम्मत विवेचन
प्राचीन आचार्यों के मतों का समन्वित विश्लेषण
वैष्णव भक्ति-साहित्य की काव्य-प्रवृत्तियों का परिप्रेक्ष्य
विद्यार्थियों, शोधार्थियों और साधकों के लिए उपयुक्त
ग्रंथ: काव्य-कौस्तुभः (The Kavya Kaustubha)
लेखक: श्रीहरिदास शास्त्री जी महाराज
भाषा: संस्कृत मूल / हिन्दी





















