प्रमेयरत्नावली (Prameya Ratnavali) Sanskrit Edi. Sri Haridas Shastri
प्रमेयरत्नावली – श्रीबलदेव विद्याभूषण विरचित (कान्तिमालाटीका और नवरत्न टीका सहित)
संस्कृत मूल, भाष्य सहित
सम्पादक: पद्मश्री श्रीहरिदास शास्त्री
प्रमेयरत्नावली गौड़ीय वैष्णव परंपरा का एक अत्यंत महत्वपूर्ण दर्शनग्रंथ है, जिसकी रचना श्रीमद् बलदेव विद्याभूषण ने की थी। इसमें वैष्णव मत के दश प्रमेयों — जैसे भगवान, जीव, भक्ति, मुक्ति आदि का संक्षिप्त और सूत्ररूप में निरूपण किया गया है।
इस विशेष संस्करण को तीन महान टीकाकारों द्वारा समृद्ध किया गया है:
🔸 कान्तिमालाटीका – श्रीकृष्णदेव सार्वभौम द्वारा रचित
🔸 नवरत्न टीका – श्री हरिराम व्यास द्वारा रचित, जो ग्रन्थ को भक्तिमयी गहराई प्रदान करती है
🔸 सम्पादन – पद्मश्री श्रीहरिदास शास्त्री जैसे प्राच्यविद्या मर्मज्ञ द्वारा विशुद्ध शास्त्रीय रीति से सम्पादित
मुख्य विषयवस्तु:
गौड़ीय वैष्णव दर्शन के दस प्रमेय
जीव-ईश्वर संबंध
भक्ति की महिमा और लक्ष्य
कर्म और ज्ञान की सीमा
मुक्ति और तत्त्वनिर्णय
शुद्ध संस्कृत में मूल ग्रंथ और टीकाएँ
पुस्तक की विशेषताएँ:
पृष्ठ संख्या: लगभग ___
बाइंडिंग: हार्डकवर / पेपरबैक
भाषा: संस्कृत मूल श्लोकों के साथ