श्रीकृष्णसन्दर्भ (Krishna Sandarbha) सर्वसम्वादिनी एवं विनोदिनी टीकाओं सहित
श्रील श्रीजीवगोस्वामिप्रभुपाद-विरचिते श्रीभागवतसन्दर्भचतुर्थः – श्रीकृष्णसन्दर्भः
(सर्वसम्वादिनी एवं विनोदिनी टीकाओं सहित)
लेखक:
श्रील जीव गोस्वामी प्रभुपाद
हिंदी अनुवाद: श्री हरिदास शास्त्री जी महाराज वृंदावन
श्रीकृष्ण-सन्दर्भ श्रील जीव गोस्वामी द्वारा रचित षट्-सन्दर्भों में चतुर्थ ग्रन्थ है, जो श्रीमद्भागवतम् के सिद्धान्तों पर आधारित है। इस ग्रंथ में यह सिद्ध किया गया है कि भगवान श्रीकृष्ण ही सर्वोच्च परब्रह्म, भगवान, एवं अद्वितीय परम पुरुष हैं। यह ग्रंथ भक्ति, तत्त्व, एवं श्रीकृष्ण के स्वरूप के गूढ़ रहस्यों को तर्क एवं शास्त्रसम्मत प्रमाणों सहित प्रस्तुत करता है।
मुख्य विशेषताएँ:
श्रीकृष्ण के ब्रह्म, परमात्मा और भगवान तीनों रूपों की विवेचना
श्रीमद्भागवत के प्रमाणों से सिद्ध किया गया श्रीकृष्ण का परातत्त्व
गौड़ीय सिद्धान्तों की आधारशिला
सर्वसम्वादिनी (श्रीजीव गोस्वामी की स्वयं की टीका) और विनोदिनी (परिष्कारात्मक व्याख्या) सहित
उपयुक्त पाठक:
तत्त्वचिंतक, गौड़ीय वैष्णव धर्म में रुचि रखने वाले
श्रीमद्भागवत और श्रीकृष्ण तत्त्व में गहराई से अध्ययन करने वाले साधक
संस्कृत, तर्क, और शास्त्र के गंभीर अध्येता





















