श्री भक्तमाल (Bhaktamala) श्री प्रियादास जी कृत भक्तिरस बोधिनी टीका
सम्पूर्ण श्री भक्तमाल – श्री नाभा जी कृत
भक्तिरस बोधिनी टीका एवं भक्ततोषिणी टिप्पणी सहित
श्री प्रियादास जी, श्री नामाजी, श्री सीताराम जी, श्री अग्रदेवाचार्य जी द्वारा टीकायुक्त
💬 टिप्पणीकार: भक्तमाली श्रीरामकृपालदास 'वृन्दावन'
श्री भक्तमाल भारतीय भक्ति परंपरा का अद्वितीय ऐतिहासिक एवं आध्यात्मिक ग्रंथ है, जिसकी रचना संत श्री नाभा जी ने की थी। इसमें वैष्णव भक्ति-संप्रदाय के महान संतों, आचार्यों और भक्तों की चरित्र-कथाओं का संकलन है। यह न केवल ऐतिहासिक दस्तावेज है, बल्कि भक्तों के जीवन से भक्ति की गहराई और आदर्शों की झलक देता है।
इस विशेष संस्करण को विद्वानों की प्रामाणिक टीकाओं और टिप्पणियों से सुसज्जित किया गया है:
इस संस्करण की विशेषताएँ:
मूल ग्रंथ: श्री नाभा जी द्वारा रचित 16वीं शताब्दी का मूल पद्यात्मक ग्रंथ
🔹 प्रमुख टीकाएँ:
भक्तिरस बोधिनी टीका – श्री प्रियादास जी
भक्ततोषिणी टिप्पणी – श्री नामाजी, श्री सीताराम जी, श्री अग्रदेवाचार्य जी
🔹 विशेष टिप्पणी: भक्तमाली श्रीरामकृपालदास ‘वृन्दावन’ द्वारा भावपूर्ण, सुगम और प्रेरक शैली में
ग्रन्थ की उपयोगिता:
शुद्ध वैष्णव भक्ति और परंपरा का दर्पण
भारत के सन्तों के जीवन, उपदेश और लीलाओं का संकलन
कथा-रस, भक्ति-भाव और आध्यात्मिक प्रेरणा का अपार स्रोत
संस्कृत, ब्रज और हिन्दी के सुंदर मिश्रण से रचित भावमयी भाषा
पुस्तक की जानकारी:
लेखक: श्री नाभा जी
टीकाकार: श्री प्रियादास जी, श्री नामाजी, श्री सीताराम जी, श्री अग्रदेवाचार्य जी
टिप्पणीकार: श्रीरामकृपालदास ‘वृन्दावन’
पृष्ठ संख्या: लगभग ___
बाइंडिंग: हार्डकवर
भाषा: हिन्दी में विस्तृत व्याख्या सहित
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