श्रीमद भगवद्गीता (Srimad Bhagavad with Sarartha Varsini Tika (Hindi)
यह श्रीमद्भगवद्गीता संस्करण, भक्ति के ईमानदार साधकों को उनकी साधना में अवश्य ही प्रेरित करेगा। इसे श्रील ए.सी. भक्तिवेदान्त स्वामी प्रभुपाद द्वारा रचित प्रसिद्ध एवं प्रमाणिक भगवद्गीता जैसा कि है (Bhagavad-gītā As It Is) के पूरक रूप में माना जाता है।
इस संस्करण में श्रील विष्णुनाथ चक्रवर्ती ठाकुर द्वारा संस्कृत में रचित सारार्थ-वार्षिणी-टीका (जो गीता के तत्त्व और भावों की वर्षा करती है) का भावानुवाद सम्मिलित है। इस टीका को श्रील भक्तिवेदान्त नारायण गोस्वामी महाराज द्वारा रचित सारार्थ-वार्षिणी प्रकाशिका वृत्ति के माध्यम से और भी गहन रूप में स्पष्ट किया गया है, जो पाठकों को गीता के सिद्धान्त के अंतरतम रहस्यों में प्रवेश कराती है।
इसके अतिरिक्त, इस प्रकाशिका-वृत्ति में श्रील भक्तिविनोद ठाकुर की कुछ अद्भुत रसिक-रंजन टीकाएं भी सम्मिलित की गई हैं, जो इस ग्रंथ को और भी अधिक रसपूर्ण एवं ज्ञानवर्धक बनाती हैं।
श्रीमद्भगवद्गीता के शुद्ध श्लोक, भावनात्मक टीका और गूढ़ रहस्य
श्रील विष्णुनाथ चक्रवर्ती ठाकुर, श्रील भक्तिविनोद ठाकुर और श्रील नारायण गोस्वामी महाराज की सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक दृष्टिकोण से समृद्ध व्याख्या
आधुनिक पाठकों के लिए उपयुक्त, गूढ़ रहस्यों को सरलता से प्रस्तुत करने वाली प्रस्तुति
यह संस्करण गीता का केवल अध्ययन नहीं, बल्कि आत्मा के गूढ़ रहस्यों की यात्रा है।
Srimad Bhagavad-Gita by Srila Bhaktivedanta Narayana Gosvami Maharaja presents the essential meanings (bhavanuvada) of Srila Visvanatha Chakravarti Thakura’s Sarartha-varsini commentary, illuminated further by Srila Narayana Maharaja’s Prakasika-vrtti. Also includes insights from Srila Bhaktivinoda Thakura. A complementary edition to Bhagavad-gita As It Is, revealing the inner purpose of the Gita for sincere bhakti practitioners.
Hardcover - Hindi





















