Rasa Panchadhyayi with Commentary By Sridhara Swami (Hindi)
श्रीमद्भागवत के दशम स्कंध के ये पाँच अध्याय — जिन्हें "रासपंचाध्यायी" कहा जाता है — श्रीकृष्ण की समस्त लीलाओं में सर्वोच्च, सर्वातिशायी, और रसिकों के जीवन का प्राण माने जाते हैं। यह ग्रंथ श्रीकृष्ण और व्रज की गोपियों के मध्य दिव्य रास-लीला का अत्यंत मधुर, रहस्यमय और आध्यात्मिक वर्णन प्रस्तुत करता है।
टीका सहित:
🔹 श्रीधर स्वामी
🔹 श्रील जीव गोस्वामी
🔹 श्रील विश्वनाथ चक्रवर्ती ठाकुर
इन अध्यायों पर श्रीधर स्वामी की मूल व्याख्या, श्रील जीव गोस्वामी के दार्शनिक गहन विवेचन, और श्रील विश्वनाथ चक्रवर्ती ठाकुर की रसिक दृष्टिकोण से लिखी सरल, सरस और गूढ़ टीकाएँ प्रस्तुत की गई हैं। इन सभी टीकाओं का अनुवाद एवं सम्पादन श्रील भक्तिवेदान्त नारायण गोस्वामी महाराज द्वारा बड़े ही भावपूर्ण एवं शास्त्रीय ढंग से किया गया है।
मुख्य विशेषताएँ:
🔸 रासलीला का परम पवित्र और आध्यात्मिक रहस्योद्घाटन
🔸 वैष्णव सम्प्रदाय के तीन महान आचार्यों की टीकाओं सहित
🔸 गूढ़ भावों से भरपूर, रसराज-महाभाव की पराकाष्ठा
🔸 हिन्दी अनुवाद के साथ संस्कृत मूल पाठ
🔸 श्रीगौड़ीय रसिक ग्रन्थों के प्रेमियों के लिए अमूल्य निधि
पुस्तक प्रकार: हार्डकवर
उपयुक्त पाठक वर्ग: साधक, रसिकजन, अध्येता, भक्तों की संगति में पढ़ने योग्य
Edited and Published by Srimad Bhaktivedanta Narayana Gosvami





















