top of page
Sad Sandarbha (Six Sandarbhas Of Srila Jiva Goswami) Sanskrit - Hindi

Sad Sandarbha (Six Sandarbhas Of Srila Jiva Goswami) (OLD RARE BOOKS) Hindi

SKU: GB-758HSB
₹3,500.00 नियमित मूल्य
₹2,275.00बिक्री मूल्य

हिंदी अनुवाद व टीका सहित | श्री हरिदास शास्त्री जी महाराज द्वारा

गौड़ीय वैष्णव दर्शन का मूल ग्रंथ-संग्रह — श्रील जीव गोस्वामी कृत

गौड़ीय वैष्णव परंपरा के सर्वोच्च आचार्य श्रील जीव गोस्वामी द्वारा रचित षट् संदर्भ (छह तात्त्विक ग्रंथों का संग्रह) भक्ति, ज्ञान, दर्शन और प्रेम के उस शिखर को प्रस्तुत करते हैं, जहाँ भगवान श्रीकृष्ण के स्वरूप, लीलाओं और उनके प्रति शुद्ध प्रेम की अनुभूति होती है।

यह संपूर्ण सेट संस्कृत मूल श्लोकों, उनकी हिंदी अनुवाद, तथा सर्वसम्वादिनी एवं विनोदिनी टीकाओं सहित प्रकाशित किया गया है, जिसे वृंदावन के महान संत श्री हरिदास शास्त्री जी महाराज ने प्रस्तुत किया है।

 

📘 षट् संदर्भ में सम्मिलित ग्रंथ एवं संक्षिप्त परिचय:

तत्त्व-संदर्भ – ज्ञान और प्रमाण के माध्यम से भगवत्प्राप्ति की नींव

 

1. तत्त्व-संदर्भ (Tattva Sandarbha)

यह संदर्भ संपूर्ण वैदिक साहित्य में श्रीमद्भागवत महापुराण की सर्वोच्चता को प्रमाणित करता है और वैदिक ज्ञान के मूलभूत स्रोत के रूप में इसकी स्थिति को स्थापित करता है। इसमें दर्शन और प्रमाण के माध्यम से भक्तियोग की आधारभूमि रखी गई है।

 

2. भगवत-संदर्भ (Bhagavat Sandarbha)

इस ग्रंथ में परम पुरुषोत्तम भगवान श्रीकृष्ण की स्वरूप, गुण, एवं लीला का विस्तृत वर्णन है। यह सिद्ध करता है कि भगवान ही तत्त्व हैं और उनकी भक्ति ही परम लक्ष्य है।

 

3. परमात्मा-संदर्भ (Paramatma Sandarbha)

यहाँ परमात्मा की सत्ता, स्वरूप और कार्यों की विवेचना है — विशेष रूप से जीव, ईश्वर और सृष्टि के संबंध में। यह भगवान के विभिन्न रूपों में से परमात्मा के रूप का विशेष विवेचन करता है।

 

4. कृष्ण-संदर्भ (Krishna Sandarbha)

इस ग्रंथ में स्पष्ट रूप से सिद्ध किया गया है कि भगवान श्रीकृष्ण ही स्वयम् भगवान हैं और समस्त अवतार उन्हीं से प्रकट होते हैं। श्रीमद्भागवत के श्लोकों के आधार पर श्रीकृष्ण की सर्वोच्चता का पूर्ण प्रमाण है।

 

5. भक्ति-संदर्भ (Bhakti Sandarbha)

यह संदर्भ शुद्ध भक्ति के स्वरूप, प्रकार और अभ्यास की व्याख्या करता है। इसमें वैदिक विधियों से लेकर रागानुगा भक्ति तक के स्वरूपों को स्पष्ट किया गया है, जिससे साधक को भक्तियोग की स्पष्ट दिशा मिलती है।

 

6. प्रिति-संदर्भ (Priti Sandarbha)

इस अंतिम संदर्भ में प्रेम-भक्ति की महिमा, स्वरूप, विभिन्न भावों (शांत, दास्य, साख्य, वत्सल्य, माधुर्य) की व्याख्या और भगवत्प्रेम की चरम स्थिति का वर्णन है। यह दर्शाता है कि भक्ति का चरम लक्ष्य प्रेम है — विशेषकर राधा-कृष्ण की माधुर्य लीला में।

 

यह षट् संदर्भ संग्रह उन सभी साधकों और अध्येताओं के लिए अनिवार्य है जो गौड़ीय दर्शन और भगवद्भक्ति के गूढ़ रहस्यों को मूल स्रोतों से समझना चाहते हैं।

मात्रा
अभी तक कोई समीक्षा नहींअपने विचार साझा करें। समीक्षा लिखने वाले पहले व्यक्ति बनें।

संबंधित उत्पाद

Get in touch

Have any questions or concerns? Feel free to reach out to us via phone or email. We are here to assist you with any inquiries.

Email

Phone

+918755807013

Social Media

  • Instagram
  • Facebook
  • Twitter
  • YouTube

Send us a message

Submit

  • Whatsapp
  • Instagram
  • Twitter
  • YouTube
© कॉपीराइट

About us:

Contact details

+918755807013

Address

Radhanivas, Vrindavan, Mathura 281121
India

​Info:

​Global Shipping available!

For International Visitors: Use Razorpay Card Payments

Or Pay Via Paypal Wallet

Card Payments Are Fixed If you Face any Issues let us know 

​We're also available on 

Amazon.in
bottom of page